स्कूलों के विलय पर फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के विलय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवायी पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ में कृष्णा कुमारी व अन्य की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं पर दो दिनों से जारी सुनवायी में याचियों और सरकार के अधिवक्ताओं ने अपनी बहस पूर्ण की। याचियों ने विलय सम्बंधी राज्य सरकार के 16 जून के आदेश को खारिज करने की मांग की है। उनकी ओर से अधिवक्ताओं एलपी मिश्रा व गौरव मेहरोत्रा की दलील थी कि सरकार का कृत्य संविधान के अनुच्छेद 21 ए में प्रदत्त 6 से 14 वर्ष के बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इससे वे अपने नजदीक में शिक्षा पाने के हक से वंचित हो जाएंगे।
कहा गया कि यदि किसी स्कूल में छात्रों की संख्या कम है तो सरकार को उस स्कूल के स्तर को सुधारने का प्रयास करना चाहिए ताकि वहां अधिक से अधिक बच्चे दाखिला लें। सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह व निदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप दीक्षित का तर्क था कि सरकार ने नियमों के तहत ही निर्णय लिया है जिसमें कोई खामी नहीं है। कहा गया कि कई स्कूल तो ऐसे हैं जिनमें एक भी छात्र नहीं हैं। यह भी तर्क दिया गया कि सरकार ने मर्जर (विलय) नहीं किया है अपितु स्कूलों की पेयरिंग की गयी है। यह भी कहा गया कि जिन प्राइमरी स्कूलों की पेयरिंग की गयी है, वे बंद नहीं किये जा रहे हैं।