यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर बड़ा अपडेट, सरकार ने चुनने के लिए डेडलाइन बढ़ाई, क्यों लिया फैसला? Unified pension scheme

Imran Khan
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यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर बड़ा अपडेट, सरकार ने चुनने के लिए डेडलाइन बढ़ाई, क्यों लिया फैसला?

 Unified pension scheme

नई दिल्ली: सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) और नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस में से किसी एक को चुनने की समयसीमा बढ़ा दी है। अब यह समयसीमा 30 सितंबर 2025 तक है। पहले यह 30 जून 2025 थी।

सरकार ने यह फैसला केंद्रीय कर्मचारियों को ज्यादा समय देने के लिए किया है। कर्मचारी अब आराम से तय कर सकते हैं कि उन्हें यूपीएस में जाना है या एनपीएस में ही रहना है। व‍ित्त मंत्रालय की ओर से सोमवार को इस बारे में बताया गया।

Unified pension scheme
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यह सूचना ऐसे समय सामने आई जब इसके पहले कुछ मीडिया रिपोर्टों में ऐसा कहा गया था कि यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) को शुरुआती आवेदन अवधि के दौरान पात्र केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों से फीकी प्रतिक्रिया मिली। अप्रैल 2025 के मध्य तक लगभग 27 लाख एनपीएस में नामांकित कर्मचारियों में से केवल 1,500 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने ही यूपीएस का विकल्प चुना था, जो 0.05% से भी कम है।

फैसला लेने के ल‍िए अब ज्‍यादा समय

वित्त मंत्रालय की ओर से सोमवार को एक आधिकारिक बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया है, 'हितधारकों से समयसीमा बढ़ाने के अनुरोध मिले थे। इसलिए, सरकार ने UPS के लिए विकल्प चुनने की समयसीमा तीन महीने बढ़ाने का फैसला किया है। अब योग्य कर्मचारी, रिटायर हो चुके लोग और दिवंगत रिटायर लोगों के कानूनी रूप से विवाहित जीवनसाथी 30 सितंबर 2025 तक विकल्प चुन सकते हैं।' इसका मतलब है कि अब इन सभी के पास फैसला लेने के लिए ज्यादा समय है।

1 अप्रैल को लॉन्‍च हुई थी स्‍कीम

यूपीएस एक पेंशन योजना है। यह 1 अप्रैल 2025 को शुरू हुई थी। इस योजना में पेंशन पाने वालों को एक निश्चित राशि मिलती है। रिटायर होने पर एकमुश्त राशि भी मिलने का प्रावधान है। यह योजना उन लोगों के लिए अच्छी है जो अपनी पेंशन को लेकर निश्चित रहना चाहते हैं।

सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया ताकि सभी कर्मचारियों को सोच-समझकर फैसला लेने का मौका मिल सके। बहुत से कर्मचारी UPS और NPS के बारे में ठीक से नहीं जानते हैं। इसलिए, उन्हें ज्यादा समय चाहिए ताकि वे दोनों योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।

अब कर्मचारियों के पास दोनों योजनाओं के फायदे और नुकसान को समझने का समय है। वे अपनी जरूरत के हिसाब से सही योजना चुन सकते हैं। सरकार चाहती है कि कोई भी कर्मचारी जल्दबाजी में गलत फैसला न ले। इसलिए, समयसीमा को बढ़ा दिया गया है।


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