New Income Tax Bill: सेक्शन 80C में मिलने वाला 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन सेक्शन 123 के तहत मिलेगा
New Income Tax Bill
नए इनकम टैक्स बिल के अगले साल से लागू हो जाने की उम्मीद है। सरकार ने यह बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। इसे वित्त पर संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है, जो इस पर व्यापक चर्चा करेगी।
सरकार ने इनकम टैक्स के नियमों को आसान बनाने के लिए यह बिल पेश किया है। इसलिए अगले साल से टैक्स से जुड़े कई प्रावधान बदल जाएंगे। हालांकि, टैक्स और टैक्स के रेट्स में बदलाव होने नहीं जा रहा है।
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सेक्शन 80सी में डिडक्शन की लिमिट में बदलाव नहीं
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि New Income Tax Bill में टैक्स रेट्स, स्लैब और कैपिटल गेंस टैक्स जैसे स्पेशल टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इसमें सिर्फ इनकम टैक्स के नियमों की भाषा और कंप्लायंस को आसान बनाने की कोशिश की गई है। एक बड़ा बदलाव सेक्शन 80 के तहत मिलने वाले डिडक्शंस में होने जा रहा है। इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में इस सेक्शन के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है।
अगले साल से सेक्शन 123 के तहत मिलेंगे डिडक्शंस
सेक्शन 80सी के तहत म्यूचुअल फंड्स के टैक्स प्लान (ELSS), PPF, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, NPS सहित करीब एक दर्जन इनवेस्टमेंट ऑप्शन में निवेश कर 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस के तहत भी इसी सेक्शन के तहत डिडक्शन मिलता है। इनकम टैक्स के नए बिल में सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाले डिडक्शन को सेक्शन या क्लॉज 123 के तहत लाया गया है।
नए इनकम टैक्स सिस्टम में कुल 536 सेक्शंस होंगे
टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्सआराम डॉट कॉम के फाउंडर-डायरेक्टर मयंक मोहनका ने कहा, "नए इनकम टैक्स बिल में सेक्शन 123 मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी की जगह लेगा।" नया इनकम टैक्स बिल 622 पेज का है। इसमें 536 सेक्शंस हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में 298 सेक्शंस हैं। इसमें 823 पेज हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए इनकम टैक्स एक्ट के 1 अप्रैल, 2026 से लागू हो जाने की संभावना है।
इनकम टैक्स की दोनों रीजीम बनी रहेंगी
कुछ टैक्सपेयर्स को नए इनकम टैक्स बिल में टैक्स रीजीम को लेकर कनफ्यूजन हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए इनकम टैक्स बिल लागू होने के बाद भी नई रीजीम और पुरानी रीजीम का सिस्टम जारी रहेगा। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स दोनों में से किसी एक रीजीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स के रेट्स और प्रावधान में भी किसी तरह का बदलाव होने नहीं जा रहा है।