CBSE ने 2026-27 से प्री-नर्सरी स्कूलों के नियमों कर दिया आसान, बालवाटिका से कक्षा 5 तक की चलेंगी कक्षाएं

Imran Khan
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CBSE ने 2026-27 से प्री-नर्सरी स्कूलों के नियमों कर दिया आसान, बालवाटिका से कक्षा 5 तक की चलेंगी कक्षाएं

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शिक्षा में सुधार के लिए नए नियम बनाए हैं। जिसके तहत बोर्ड से संबंधित स्कूलों को बालवाटिका से कक्षा 5 तक की कक्षाओं के लिए "शाखा स्कूल" बनाने की मंजूरी दी गई है।

बोर्ड का मानना है कि इससे जगह की कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा। ऐसे में अब ब्रांच स्कूल स्कूल-2025 के तहत, सीबीएसई से संबंधित स्कूल साल 2026-27 शैक्षणिक सत्र से, मुख्य स्कूलों की तरह शाखा स्कूल बनाने के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

सीबीएसई के चेयरपर्सन राहुल सिंह का कहना है कि बालवाटिका को चलाने के लिए भूमि और स्थान की कमी को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। बता दें कि बालवाटिका एक प्रीस्कूल है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत स्कूली शिक्षा के लिए बनाया गया है।


बाल वाटिका से चलेंगे कक्षा 5 तक के स्कूल

ये नए नियम उन स्कूलों के लिए हैं, जिन्हें बालवाटिका कक्षाएं चलाने के लिए जगह की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यह समस्या खासौतर से शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है। लिहाजा मौजूदा समय में सीबीएसई से संबंधित स्कूलों को बालवाटिका से कक्षा 5 तक शाखा स्कूल चलाने की अनुमति दी जाएगी। सीबीएसई के सर्कुलर के मुताबिक, सीबीएसई बोर्ड से संबंधित स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक की कक्षाएं होंगी। वहीं शाखा स्कूलों में बालवाटिका से कक्षा 5 तक की कक्षाएं चलेंगी। इसके अलावा स्कूलों को राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड से संबद्ध (affiliated) होना चाहिए। वहीं केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे केंद्रीय विद्यालयों ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में प्रीस्कूल शिक्षा के लिए बालवाटिका की शुरुआत की है। जिसमें रोजाना तीन घंटे कक्षाएं चलाई जाएंगी।

मुख्य स्कूल बनाएंगे शाखा स्कूल

नए सर्कुलर के मुताबिक, मुख्य स्कूलों को एक ही नाम, संबद्धता संख्या (affiliation number) और एक ही प्रबंधन के तहत एक शाखा स्कूल खोलने की अनुमति दी जाएगी। वहीं सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि दोनों स्कूलों की एक आम वेबसाइट होगी। जिसमें शाखा विद्यालय के लिए एक सेक्शन होगा। फिलहाल दिल्ली में अभी तक एनईपी 2020 को लागू नहीं किया गया है। इसकी वजह ये है कि ज्यादातर शहरी स्कूल जगह की समस्या से जूझ रहे हैं।


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