उत्तर प्रदेशः 5000 स्कूल होंगे बंद?, स्कूलों में 50 से भी कम बच्चों का एडमिशन और 500 में बच्चों को पढ़ाने के लिए 1 भी शिक्षक नहीं
School Merge Process In UTTAR PRADESH
लखनऊःउत्तर प्रदेश में करीब पांच हजार परिषदीय स्कूलों पर बंदी का खतरा मंडराने लगा है. इन स्कूलों में 50 से भी कम बच्चों का एडमिशन हुआ है. यही नहीं करीब पांच सौ स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है.
School Merge Process In UTTAR PRADESH |
शिक्षामित्र के भरोसे इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इसके चलते सूबे की सरकार ने कम नामांकन (एडमिशन) वाले परिषदीय स्कूलों के बच्चों को पास के स्कूल में शिफ्ट करने की योजना को मंजूरी दी है. राज्य के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इस संबंध में एक आदेश जारी कर उन स्कूलों की सूची मांगी है, जिनमें 50 से भी कम बच्चों को एडमिशन हुआ है.
स्कूल शिक्षा महानिदेशक से यह लिस्ट मिलते ही करीब पांच हजार परिषदीय स्कूलों को मर्ज किया जाएगा. सरकार के इस आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध करना शुरू दिया है. इन लोगों का कहना है कि परिषदीय स्कूलों पेयरिंग के नाम पर बंद किए जाने के प्रयास शुरू किया जा रहा है. सरकार के फैसले का विरोध किया जाएगा.
इन वजहों से घटी स्कूलों में बच्चों की संख्या
उत्तर प्रदेश में 1.32 परिषदीय स्कूल हैं. इनमें 85 हजार प्राथमिक स्कूल और 45,625 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं. प्राथमिक स्कूलों में कक्षा -आठ तक की पढ़ाई होती है. इन्ही स्कूलों में बीते कुछ वर्षों से पढ़ने आने वाले बच्चों की संख्या लगातार घट रही है. सरकार के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. गत माह जारी हुए इस आंकड़ों में यह बताया गया था कि सूबे के प्राइमरी तथा अपर प्राइमरी स्कूलों में सन 2023-24 में 1.74 करोड़ दाखिले हुए जबकि 2024-25 में मात्र 1.52 करोड़ अर्थात स्कूल दाखिला हुआ. मतलब 22 लाख की गिरावट सरकारी स्कूल में हुई.
इसकी वजह सरकारी स्कूलों की खराब दशा और पढ़ाई के खराब स्तर को बताया गया. यह वजह बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने की ललक भी बताई गई. यह भी पाया गया कि लंबे समय से शिक्षकों ही भर्ती ना होने के कारण तमाम परिषदीय स्कूल तमाम शिक्षक नहीं हैं.
इसकी वजह यह बताई जा रही है कि प्रदेश में साल 2011 के बाद ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में शिक्षकों का तबादला ही नहीं किया है ना ही शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों का कोई समायोजन ही हुआ है. यही कारण है है कि शहरी क्षेत्र के 970 स्कूल बगैर शिक्षक के हैं. क्योंकि शिक्षकों की हर साल हो रही सेवानिवृत्ति के चलते स्कूल शिक्षक विहीन होते चले जा रहे हैं.
लखनऊ में ही शहरी क्षेत्र के 297 प्राइमरी स्कूलों में से 60 स्कूल में शिक्षक ही नहीं है. इसी तरह से गोरखपुर के 60 स्कूल, प्रयागराज के 74 स्कूल, वाराणसी के 56 स्कूल, मेरठ के 71 स्कूल, बरेली के 72 स्कूल, अयोध्या के 66 स्कूल, गौतमबुद्ध नगर के 69 स्कूल और देवरिया के 10 स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षक ही नहीं है.
इन्ही सब वजहों के कारण परिषदीय स्कूल में लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला करने से दूरी बना ली. ऐसे में अब सरकार के लिए यह स्कूल बोझ बनने लगे तो सरकार के इन प्राथमिक स्कूलों का उच्च प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी की.
स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ रही सरकार
सरकार की इस योजना का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है. इनका कहना है कि सरकार पेयरिंग के नाम परिषदीय विद्यालयों को बंद करने जा रही है. सरकार की यह योजना ना सिर्फ शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की मूल भावना का अतिक्रमण है, बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय भी.
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि आरटीई के तहत गांवों और मजरों में स्कूल खोले गए थे, ताकि हर बच्चे को उसके घर के पास शिक्षा मिल सके. अब सरकार कम आय वाले परिवारों के बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था को खत्म करने पर ही आमादा हो गई.
सरकार को इस आदेश को वापस लेना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो शिक्षक संघ आंदोलन करेगा. शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहते हैं कि योगी सरकार की उस योजना के तहत लखनऊ के ही 445 स्कूल प्रभावित होंगे. शिक्षक संगठन अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ने भी विद्यालयों के विलय का विरोध किया है.
उनका कहना है कि सरकार सीधे-सीधे स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है. सरकार नहीं चाह रही है कि गरीब, किसान, रिक्शा, ठेले वाले, मजदूरों के बच्चे शिक्षा पाकर उच्च पदों पर पहुंच सके. स्कूल मर्ज करने का विरोध किया जाएगा.
परिषदीय स्कूलों की व्यवस्था :
- उत्तर प्रदेश में 1.32 परिषदीय स्कूल हैं.
- 85 हजार प्राथमिक स्कूल और 45,625 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं.
- प्राथमिक स्कूलों में कक्षा -आठ तक की पढ़ाई होती है.
- उच्च प्राथमिक स्कूलों में कक्षा-आठ से 12वी तक पढ़ाई होती है