National Education Day 2025 :अब रटने से ज्यादा सीखने पर जोर, जानें किस तरह बदल रही उच्च शिक्षा
National Education Day 2025 : इस समय भारतीय उच्च शिक्षा बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. हमारा शिक्षा तंत्र लंबे समय से सिलेबस पूरा करने और परीक्षा में अच्छे अंक लाने पर केंद्रित रहा है.
है. छात्रों को विषय याद करने, दोहराने और परीक्षा के बाद भूल जाने की आदत पड़ गई थी. लेकिन अब शिक्षा केवल रटने का माध्यम नहीं रही, यह सोचने, समझने और जीवन के लिए तैयार करने का साधन बन रही है.
इस परिवर्तन की दिशा राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने तय की है. MIT WPU, पुणे के स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स के डीन डॉ. विशाल घुले का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लचीलेपन, इंटरडिसिप्लिनरी एजुकेशन और एक्सपेरिमेंटल लर्निंग पर जोर देती है. यह संस्थानों को पाठ्यपुस्तकों से आगे बढ़ने और बौद्धिक जिज्ञासा को पोषित करने के लिए प्रोत्साहित करती है. नेशनल एजुकेशन डे 2025 के मौके पर आइए देखते हैं कि उच्च शिक्षा किस तरह रटने से आगे निकल रही है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभाव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा में लचीलेपन, मल्टी डिसिप्लिनरी लर्निंग और एक्सपेरिमेंटल लर्निंग पर जोर देती है.
प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप आधारित लर्निंग
छात्रों को अब व्यावहारिक अनुभव दिलाने के लिए प्रोजेक्ट, केस स्टडी और इंटर्नशिप को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है.
इंटर-डिसिप्लिनरी शिक्षा का प्रसार
अब एक छात्र एक से अधिक विषयों का अध्ययन कर सकता है - जैसे विज्ञान के साथ समाजशास्त्र या साहित्य के साथ डेटा एनालिटिक्स.
तकनीक का उपयोग
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, स्मार्ट क्लासरूम, वर्चुअल लैब्स और डिजिटल संसाधनों से शिक्षा अब अधिक संवादात्मक और सुलभ हो गई है.
मूल्यांकन प्रणाली में सुधार
केवल परीक्षा में अंकों पर आधारित मूल्यांकन से आगे बढ़कर निरंतर आकलन (continuous assessment) और प्रोजेक्ट आधारित मूल्यांकन पर ध्यान दिया जा रहा है.
जीवन कौशल और मानवीय मूल्यों पर ज़ोर
उच्च शिक्षा अब केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि सृजनात्मकता, सहानुभूति, नेतृत्व और नैतिकता जैसी जीवन कौशल विकसित करने का साधन बन रही है.
