राज्य कर्मचारी परिषद ने दी विधानभवन घेरने की चेतावनी Old Pension Scheme

Imran Khan
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राज्य कर्मचारी परिषद ने दी विधानभवन घेरने की चेतावनी

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने रविवार को 12 लाख राज्य कर्मचारी और 10 लाख विभिन्न निगमों और संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के साथ विधानभवन घेरने की चेतावनी दी है।

परिषद लगातार पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी समस्याओं पर मूकदर्शक बना बैठा है। यह बात परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने रविवार को गोमतीनगर में आयोजित चाय पर चर्चा कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि एक वर्ष गुजरने को है, शासन स्तर पर संगठनों से वार्ता नहीं हुई। जबकि शासन स्तर पर हर 15 दिनों में संगठन से वार्ता का आदेश जारी किया गया है।


यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं को घर-घर पहुंचाने के लिए कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में परिषद ने एक बार फिर 7 नवंबर तक कर्मचारियों की मांगे पूरी नहीं होने पर 8 नवंबर से मंडल स्तर पर सम्मेलन किए जाएंगे, जिसके बाद 20 जनवरी 2026 को विधान भवन पर बड़े धरना-प्रदर्शन की तैयारी की जाएगी। कैशलेस इलाज में मनचाहे अस्पताल चुनने की आजादी नहीं जेएन तिवारी ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को कैशलेस इलाज तो दे दिया, लेकिन मनचाहे अस्पताल में इलाज करने का अधिकार नहीं दिया। यदि कोई व्यक्ति अचानक कहीं बीमार हो जाता है, तो वह इलाज कराए या सरकार की ओर से निर्धारित अस्पताल ढूंढ़े। उन्होंने समाज कल्याण विभाग की ओर से संगठन के पदाधिकारियों को बायोमेट्रिक से छूट और विशेष अवकाश संबंधी शासनादेश का उल्लंघन किए जाने पर भी नाराजगी जताई। रोडवेज का निजीकरण बर्दाश्त नहीं, खाली पद भरें जाएं उप्र रोडवेज कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष डीके त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश के 19 कार्यशालाओं का निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने नियमित कर्मचारियों की भर्ती करने, संविदा कर्मियों के लिए सेवानियमावली बनाने और महंगाई भत्ता राज्य कर्मियों के मुताबिक 57 फीसदी देने की मांग की है।

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