Cashless Treatment
लखनऊः पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना में अब दो एजेंसियों को इलाज के दावों की जांच करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए प्रदेश को दो क्लस्टर में बांटकर अलग-अलग एजेंसियों का चयन करने की तैयारी है। प्रदेश में 16 लाख कर्मचारी-पेंशनर्स और उनके आश्रित इस योजना से आच्छादित है। अभी तक एक एजेंसी होने से योजना से संबंधित दावों की जांच का कार्य धीमी गति से हो रहा था। अब इसे तेज और आसान बनाने की कोशिश की जा रही है।
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Cashless Treatment |
सभी सेवारत और सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों को निजी व सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए 21 जुलाई 2022 को इस योजना की शुरुआत हुई थी। इसमें सरकारी पेंशन धारक और उनके आश्रितों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है।
इसके अलावा पारिवारिक पेंशन वाले लाभार्थी भी इस योजना में शामिल किए गए हैं। लाभार्थी अधिक होने और एक ही एजेंसी होने के कारण इलाज के दावों की जांच में देरी होती थी। इससे भुगतान में भी समय लगता था। अब दावों की जांच के लिए दो एजेंसियों के चयन की तैयारी है।
निजी अस्पताल में पांच लाख व सरकारी में बिना सीमा इलाज की सुविधा
इस योजना के तहत निजी अस्पताल में सालाना पांच लाख रुपये और सरकारी अस्पताल में बिना किसी सीमा के कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाती है। साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अर्चना वर्मा के अनुसार इलाज के दावों की जांच (क्लेम चेक) में देरी होने से कई समस्याएं हो रही थी। इसे तेज और सुगम करने के लिए दो एजेंसियों के चयन की तैयारी की जा रही है।